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History Of Computer In Hindi | कंप्यूटर का इतिहास जानें

कंप्यूटर शब्द की उत्पति अंग्रेज़ी भाषा के कम्प्यूट शब्द से हुई है जिसका अर्थ है गणना करना अतः कम्प्यूटर का विकास गणितिय गणनाओं के उद्देश्य की पूर्ति के लिए किया गया है सबसे पहले कंप्यूटर का आविष्कार 600 ईसा पहले गिनतारे का विकास मेसोपुटामिया में हुआ, इसी प्रकार Calculator का आविष्कार 17वीं शताब्दी के शुरुआत में डानन नेपियर ने किया था जिसका उपयोग गणितिय गणनाओं हेतु किया गया था. इसके बाद 1671 में ब्रान गोट फ्राइड में गणना करने वाले कैलकुलेटर का आविष्कार किया. 1942 में बेब्ज पास्कल ने यांत्रिक कैलकुलेटर बनाया जिसे पास्कलिंग कहा गया यह कैलकुलेटर सिर्फ 6 व्यकित्यों के बराबर गणना कर सकता था.

History of Computer : 1822 में चार्ल्स बेबेज ने सबसे पहले Digital Computer बनाया पास्कलिन से प्रेरणा लेकर डिफ्रेन्सियल और एनालिटीकल एनिंजन का अविष्कार किया, उन्होंने 1937 में स्वचालित कंप्यूटर की परिकल्पना की जिसमे कृत्रिम स्मृति तथा प्रोग्राम के अनुरूप गणना करने की क्षमता हो, किन्तु हथर्न होलेरीथ ने भी पूरा किया ! पंचकार्ड की मदद से सारा कार्य खुद ही करने इलेक्ट्रोनिक टेबूलेशन मशीन का निर्माण किया गया! मतलब प्रथम पीढ़ी के कंप्यूटर में Vacuum Tube या Vacuum Valve का प्रयोग हुआ. 
1948 में Valve की जगह ट्रांजिस्टर का उपयोग किया जाने लगा ! इससे Vacuum Tube में होने वाले श्योर में पैदा होने वाली गर्मी से निजात पाया जा सका ! इसमें का खर्चीले और कम जगह घेरने वाले कंप्यूटर का निर्माण संभव हो सका ! 
1958 में ट्रांजिस्टर के स्थान पर सिलकोन चिप पर इंटीग्रेटेड सर्किट का उपयोग कंप्यूटर के क्षेत्र में किया जाने लगा | इसने कंप्यूटर के क्षेत्र में मूलभूत परिवर्तन तथा एक नयी क्रांति ला दी जिसको कंप्यूटर की तीसरी पीढ़ी कहा गया ! सिलकोन चिप निर्मित कंप्यूटर का आकार अत्यंत छोटा होने के कारण इन्हें मिनी कंप्यूटर कहा जाने लगा.

Computer History by Year :कंप्यूटर तकनिकी विकास के द्वारा जो कंप्यूटर के कार्यशेली तथा क्षमताओं में विकास हुआ इसके फलस्वरूप कंप्यूटर विभिन्न पीढ़ियों तथा विभिन्न प्रकार की कंप्यूटर की क्षमताओं का निर्माण का आविष्कार हुआ !
कार्य क्षमता के इस विकास को 1964 में कंप्यूटर जनरेशन कहा जाने लगा.

कंप्यूटर विकास की पहली पीढ़ी (First Generation History in Hindi) :-
वैक्यूम टूयूब्स (1940 - 1956) :
 इलेक्ट्रॉनिक सिग्नल को नियंत्रण और प्रसारित करने हेतु वैक्यूम टूयूब्स का उपयोग किया गया इसमें भरी भरकम कंप्यूटर का निर्माण हुआ किन्तु सबसे पहले उन्ही के द्वारा कंप्यूटर की परिकल्पना साकार हुई | ये टूयूब्स के आकार में बड़े तथा ज्यादा गर्मी उत्पन्न करते थे तथा उनमे टूट-फुट तथा ज्यादा खराबी होने की संभावना रहती थी और इसकी गणना करने की क्षमता भी काफी कम थी और पहली पीढ़ी के कंप्यूटर ज्यादा स्थान घेरते थे.

कंप्यूटर विकास की दूसरी पीढ़ी (Second Generation History in Hindi):-
ट्रांजिस्टर (1956 - 1963) : 
में ट्रांजिस्टर का आविष्कार हुआ | इस दौरान के कंप्यूटरों में ट्रांजिस्टरों का एक साथ प्रयोग किया जाने लगा था, जो वाल्व्स की अपेक्षा अधिक सक्षम और सस्ते होते थे | जिन्हें कंप्यूटर निर्माण हेतु वैक्यूम टूयूब्स के स्थान पर उपयोग किया जाने लगा | ट्रांजिस्टर का आकार वैक्यूम टूयूब्स की तुलना में काफी छोटा होता है | जिससे कंप्यूटर छोटे तथा उनकी गणना करने की क्षमता अधिक और तेज | पहली पीढ़ी की तुलना में इनका आकार छोटा और कम गर्मी उत्पन्न करने वाले तथा अधिक कार्यक्षमता व तेज गति के गणना करने में सक्षम थे.

कंप्यूटर विकास की तीसरी पीढ़ी (Third Generation Computer History in Hindi):-
इंटीग्रेटेड सर्किट (1964 - 1971) :
 इस अवधि के कंप्यूटरो का एक साथ प्रयोग किया जा सकता था. यह समकालित चिप विकास की तीसरी पीढ़ी का महत्वपूर्ण आधार बनी, कंप्यूटर के आकार को और छोटा करने हेतु तकनिकी प्रयास किये जाते रहे जिसके परिणाम स्वरूप सिलकोन चिप पर इंटीग्रेटेड सर्किट निर्माण होने से कंप्यूटर में इनका उपयोग किया जाने लगा ! जिसके फलस्वरूप कंप्यूटर अब तक के सबसे छोटे आकार का उत्पादन करना संभव हो सका ! इनकी गति माइक्रो सेकंड से नेनो सेकंड तक की थी जो स्माल स्केल इंटीग्रेटेड सर्किट के द्वारा संभव हो सका.

कंप्यूटर विकास की चोथी पीढ़ी (Fourth Generation Computer History in Hindi):-
माइक्रोप्रोसेसर (1971 - 1985) :
 चोथी पीढ़ी के कंप्यूटरों में माइक्रोप्रोसेसर का प्रयोग किया गया ! वी.एस.एल.आई. की प्राप्ति से एकल चिप हजारों ट्रांजिस्टर लगाए जा सकते थे.

कंप्यूटर विकास की पांचवी पीढ़ी (Fifth Generation Computer History in Hindi) :-
आर्टिफीसियल इंटेलिजेंस:
 विकास की इस पांचवी अवस्था में कंप्यूटरों में कृत्रीम बुद्धि का निवेश किया गया है ! इस तरह के कंप्यूटर अभी पूरी तरह से विकशित नहीं हुए है ! इस तरह के कंप्यूटरों को हम रोबोट और विविध प्रकार के ध्वनि कार्यकर्मो में देख सकते है ! ये मानव से भी ज्यादा सक्षम होगा.

ऑनलाइन पैसा कमाने के तरीके - घर बैठे पैसे कमायें! make money online in hindi

इन्टरनेट से पैसे कमाने का आसान तरीका : तेज और बहुत ही आसन भी है !

आज कल इन्टरनेट के दौर में हर कोई मुझे यह खोजता हुआ दिखाई देता है की इन्टरनेट से पैसे कैसे कमाए जाते है (पैसा कमाने के तरीके). काफी सारे ब्लॉग और वेबसाइटों पर मुझे यह सवाल दिखाई दिया और कुछ लोगो ने मुझे भी यह सवाल किया है और मुझे इस पर एक लेख लिखने की सूझी और यह लेख मेने आप के लिए लिखा उम्मीद है आपको पसंद आएगा.

हर कोई चाहता है की वो घर बेठ कर पैसे कमायें यदि आप भी ऐसा ही सोचते है तो ! आप घर पर बेठ कर काम करें और पैसे कमाना चाहें तो यह हो सकता है यदि आप स्टूडेंट है या हाउस वाइफ है या फिर अभी आप कोई काम करते नहीं और घर पर रहते है तो इस लेख के जरिये में आपको यही बताने जा रहा हूँ, की यदि आपके घर पर इन्टरनेट की सुविधा है तो आज आप एक बहुत अच्छा पैसा कमाने का तरीका मुझे से सिख के ही जायेंगे और इसमें सबसे अच्छी बात यह है की आपको इसमें कोई भी किसी भी प्रकार का पैसा नहीं लगाना पड़ेगा और न ही इसमें किसी प्रकार की तकनिकी जानकारी की जरुरत है बस  एक बार रोजाना कुछ समय निकाल के इन्टरनेट पर काम करना होगा और कुछ सरल कार्य करने होंगे इसमें आपको अंग्रेज़ी भाषा की अधिक जानकारी होना भी जरुरी नहीं है.
फेसबुक और अन्य वेबसाइटों से पैसे कमाने का तरीका में आपको पहले ही बता चूका हूँ यदि आपने नहीं पढ़ा तो मेनू बार में से Earn Money Online in Hindi पर जायें और खोजें.
आइये जानते है वो तरीका जिसकी मदद से आप घर बेठ कर पैसे कम पाएंगे.
आइये जानते है ऑनलाइन पैसा कमाने का फंडा :
में आपको एक वेबसाइट के बारे में बताऊंगा जहाँ आपको काम करना है, अब आप यह न सोचे की यह तो फेक होगी और ऐसी बहुत साडी वेबसाइट है दुनिया में जी बिलकुल नहीं यह सच में है और मेने अब तक इससे 677 डॉलर निकाल लिए है  दोस्त गलत और फर्जी वेबसाइट में एक अंतर होता है.
पहले में आपको यह बता देता हूँ की यह वेबसाइट आपको किस लिए पैसा देगी और क्यों देगी इसको वेबसाइट को क्या फायदा है आदि-आदि.
दोस्त यह इन्टरनेट मार्केटिंग है और यहाँ आज कल इतनी वेबसाइटै हो गई है की इनकी जानकारी शायद ही कोई रखता होगा और इस भीड़ में सभी वेबसाइटों के मालिक अपनी वेबसाइट पर अधिक से अधिक लोगों को लाना चाहते है फिर चाहें वो Google से आये या पैसे देकर तो इसमें होता क्या है. यह जो वेबसाइट का मालिक ही वो किसी ऐसी वेबसाइट जो सबसे अधिक लोग रोज देखते है उसके मालिक से सम्पर्क करता है और उससे कहता की आप मेरी वेबसाइट का एक छोटा सा बैनर या पता अपनी वेबसाइट पर लगा दें में आपको हर महीने इतने पैसे दूंगा और इस तरह से जब उसकी वेबसाइट का लिंक या पता उस वेबसाइट पर लगा जाता है तो जो सबसे पोपुलर वेबसाइट है उस पर जितने भी लोग आयेंगे उनमे से %10 लोग तो उस वेबसाइट के बैनर पर क्लिक करेंगे ही करेंगे यदि बैनर अच्छा हुआ और वेबसाइट भी काम की हुई तो अधिक भी आयेंगे.
तो आपको क्या समझ में आया यदि नहीं आया तो एक बार और पढ़ें जरुर इन्टरनेट मार्केटिंग का फंडा आपको समझ आएगा. अब में आपको बताऊंगा की आपको उस वेबसाइट पर क्या करना है जिसके बारे में हम बात कर रहे है.
आपको इस वेबसाइट पर अपने अकाउंट में रोज कुछ वेबसाइट के ad आयेंगे उनको खोल कर देखना है
यह सब कैसे करोगे वो में आपको एक विडियो की मदद से बताऊंगा और आप कैसे पैसे निकालोगे उसके लिए भी मेने एक विडियो बनाया है.
सबसे पहले आप निम्न वेबसाइट को अपने ब्राउज़र में खोलें :-
आप बस क्लिक करें यह खुद एक नयी Tab में खुल जायेगा आगे पढ़ें.
http://www.clixsense.com
आपके सामने वेबसाइट निम्न प्रकार दिखाई देगी जैसा नीचे चित्र में दिखाया गया है.
इसमें जो भी जानकारी आप से मांगी जा रही है सभी जानकारी सभी से भरें वरना आपको पैसे निकलने में परेशानी भी हो सकती है.और यह करने के बाद Signup Now बटन को दबायें.
अब ऊपर मेनू बारे में से Sign in बटन पर क्लिक करें और अपना User Id और Password डालें.
अधिक से अधिक कमाई करने के लिए अपना Referral Link अपने दोस्तों और फेसबुक आदि पर भेजें लोगो को इससे जुड़ने के लिए कहें आपको इससे बहुत अच्छी कमाई होगी यदि आप एक आदमी को जोड़ते है अपने Referral Link मदद से तो आपको उसके जुड़ते ही 0.05 डॉलर यानि 3-5 रु की कमाई होगी उसके साथ ही जितना वो कमाएगा उसका 10% आपके खाते खुद ब खुद जुड़ जायेगा तो इसका उपयोग जरुर करें....!
अब जानते है पैसे कैसे और कब निकालें और इसमें कितना समय लगेगा:
दोस्त पैसे निकलने के लिए आपको Paypal में अपना अकाउंट बनाना होगा यदि आपका अकाउंट नहीं है तो अभी www.Paypal.com पर जायें और रजिस्टर करें और अपना बैंक का खाता नंबर उसमे डालें यह दुनिया की सबसे बड़ी पैसे भेजने वाली कंपनी है शायद आपने इसका नाम सुना होगा यदि नहीं तो आप किसी भी इन्टरनेट पर रोज बेठने वाले से इसके बारे में जानकारी प्राप्त कर सकते है आगे जानते है जब आपके अकाउंट में $8 डॉलर की कमाई हो जाएगी तभी आप इन्हें निकाल पाएंगे पैसे निकालने के और भी कई तरीके है नीचे दिए विडियो में आपको Paypal की मदद से पैसे निकालते हुए दिखाया गया है पर आप चाहो तो दुसरे तरीके भी काम में ले सकते है वैसे सभी में कुछ पैसा आपके अकाउंट में से कटेगा जब आप निकालोगे तो पर एक Free भी है. इसके बारे में आपको वेबसाइट पर और अधिक जानकारी मिल जाएगी.

यदि आपको इस ट्रिक्स में कहीं भी कुछ समस्या लग रही है तो कमेंट करें और हमारी यह दूसरी ट्रिक्स पढ़ें इससे भी आप ऑनलाइन पैसे कम सकते हैं.


Full Introduction Of Computer Software In Hindi

आप जानते है की Computer एक Electronics मशीन है, यह खुद अपनी मर्ज़ी से कुछ नहीं कर सकता इस लिए इसे कुछ करने के लिए बाध्य किया जाता है ! इसके लिए इसे उचित आदेश दिये जाते है ! यानि हम इससे काम करवाने के लिए इसके Mouse और Keyboard का उपयोग करके इसे निर्देश देते है तभी यह काम करता है !
हम Computer के दो भागों के बारे में जानते है ! Hardware और Software Computer के वे सभी Parts जिन्हें आप देख सकते है ! उन्हें Hardware कहा जाता है ! और Computer के वे सभी भाग जिन्हें आप देख नहीं सकते है उन्हें Software कहते है !
Hardware बिना Software के मदद के कुछ भी नहीं कर सकता है ! Computer Hardware से काम करवाने के लिए हमे Software की मदद से कुछ Commands देने पड़ते है ! Commands के Group को प्रोग्राम कहा जाता है !

चलिए जानते है Types Of Computer Software

में आपको यहां तीन प्रकार के Software के बारे में बताऊंगा !
System Software
Utility Software
Application Software

इनको विस्तार से समझते है ! 
System Software :- जो Program Computer को चलाने, उसको Control करने, उसके विभिन्न भागों की देखभाल करने और उसकी सभी क्षमताओं को अच्छे से अच्छा उपयोग करने के लिए बनाये जाते है, उनको सम्मलित रूप से System Software कहा जाता है !
System Software के बारे में और अधिक जानकारी के लिए नीचे दिए Link पे जायें ! 


Full Introduction of System Software


Utility Software :- कुछ ऐसे प्रोग्राम जो System Software नहीं होते पर जिनकी जरुरत हमे बार-बार पड़ती है ! Utility प्रोग्राम, कई ऐसे कार्य करता है जो Computer का उपयोग करते समय हमे कराने पड़ते है For Example :- Text Editor जो हमे Text लिखने में काम में आता है ! यह System Software के Important Parts नहीं होते पर हमें इनकी जरुरत पड़ती है इस लिए Computer बनाने वाला हमें यह उपलब्ध करवाता है ! 

Application Software :- उन सभी Programs को Application Software कहा जाता है, जिनपे हम अपना काम करते है जैसे :- Office में सभी Employee की सैलरी, सभी प्रकार का लेन-देन, Report बनाना, Photo को Edit करना, आदि-आदि Computer वास्तव में ऐसे ही काम के लिए खरीदे जाते है !
यह काम हर Company या User के लिए अलग-अलग तरह के होते है, इसलिए हमारे जरुरत के अनुसार Software Engineer हमारे लिए लिखते है (Develop) करते है ! वैसे आजकल ऐसे Program सबके लिए एक जैसे Develop किए जाते है जैसे :- MS Word, MS Excel, Tally, Photoshop, Coraldraw, Pagemaker आदि ! 


आगे की Post में और भी नयी- नयी Useful Tricks के बारे में जानेंगे आप हमारे Blog के साथ जुड़े रहे और नए-नए Computer Tips and Tricks सीखते रहे और इनको अपने Friends के साथ Share करते रहे !

Full Introduction Of System Software Learn In Hindi

System Software के बारे में आप पहले भी जान चुके है System Software क्या होता है


System Software में वो Program होते है, जो Computer System को Control करते है और उसके सभी Parts के बीच अच्छा तालमेल बनाकर कोई कार्य कराते है ! इन्हें दो भागों में बांटा गया है !
Operating System 
Language Translator
चलिए इन्हें विस्तार से जानते है !
Operating System :- यह कुछ विशेष प्रोग्रामों का Group है जो किसी Computer के सभी कार्यो को Control करता है ! यह Computer के साधनों के उपयोग पर नजर रखने और व्यवस्तित करने में हमारी मदद करता है ! Operating System आवश्यक होने पर अन्य प्रोग्रामो को चालू करता है , विशेष सेवाएँ देने वाले प्रोग्रामो को चालू करता है और User की इच्छा के अनुसार Output निकालने के लिए Data का प्रबंध करता है ! वास्तव में यह User और Computer के Hardware के बीच Interface का काम करता है. 
इस समय काफी सारे Operating System प्रचलन में जिनमे मुख्य निम्न है :- Windows XP, Windows 7, Windows 8, Windows 10, Red Hat Linux, Ubuntu आदि-आदि.
Language Translator :- ये ऐसे Programs है, जो विभिन्न Programming Languages में लिखे गए Pragrams का अनुवाद Computer के Machine Language में करते है ! यह अनुवाद करवाना इसलिए जरुरी है क्योंकि Computer सिर्फ अपनी Machine Language ही समझता है. 
Language Translator तीन प्रकार के होते है –
1. Assembler 
2. Compiler 
3. Interpreter

चलिए इनको विस्तार से समझते है – 
Assembler :- यह Program Assembly Language में लिखे गए किसी Program पढता है और उसे Machine Language में Convert करता है ! Assembly Language के Program को Source Program भी कहा जाता है ! इसका Machine Language में Convert होने के बाद जो Program प्राप्त होता है, उसे Object Program कहा जाता है !
Compiler :- यह Program किसी High-Level Programming Language में लिखे गए Source Program को Machine Language में Convert करता है ! Compiler Source Program निर्देश को Convert करके उसे एक या अधिक Machine Language के निर्देशों में बदल देता है ! हर एक High-Level Programming Language के लिए अलग Compiler की जरुरत होती है.
Interpreter :- यह Program भी किसी High-Level Programming Language में लिखे गए Source Program को Machine Language में Convert करता है ! परन्तु यह एक बार में Source Program के एक कथन को एक या अधिक मशीनी भाषा के कथनों में Convert करता है और उनका पालन करता है ! वैसे Compiler और Interpreter का कार्य एक जैसा होता है, अंतर केवल यह है की Compiler जहाँ Object Program बनाता है, वहीँ Interpreter कुछ नहीं बनाता ! इस लिए Interpreter का उपयोग करते समय हर बार Source Program की जरुरत पड़ती है.

यह Tricks आपको कैसी लगी यदि कंप्यूटर और इन्टरनेट से सम्बधित आपके के पास हमारे लिए कोई सवाल है तो हमे भेजें Comment करें जल्दी ही आपके सवाल का जवाब देने की पूरी कोसिस करेंगे ?

31+ कीबोर्ड शॉर्टकट, जो बनाए आपकी इंटरनेट ब्राउज़िंग को फ़ास्ट (Learn Internet Browsing Keyboard Shortcut In Hindi)

कीबोर्ड शॉर्टकट हमेशा से ही कंप्यूटर के अनुभवी उपयोगकर्ताओं की पसंद रहे है, क्यों की ये बहुत से कार्यों को चुटकियों में करके बहुत से समय की बचत करते है।

अभी आइये जानते है कि कौन कौन से कीबोर्ड शॉर्टकट इंटरनेट ब्राउज़िंग को फ़ास्ट बनाने में हमारी मदद कर सकते है।

कंप्यूटर पर इंटरनेट ब्राउज़िंग के लिए कीबोर्ड शॉर्टकट

यहाँ हमने GOOGLE क्रोम ब्राउज़र में प्रयोग होने वाले कीबोर्ड शॉर्टकट शामिल किये है, सामान्यतः ये कीबोर्ड अन्य ब्राउज़र में भी वही कार्य करते है। 

  1. नई ब्राउज़र विंडो खोलने के लिए : Ctrl + N 
  2. उसी ब्राउज़र में नई टैब के लिए : Ctrl + T
  3. प्राइवेट ब्राउज़िंग विंडो के लिए : Ctrl + Shift + N
  4. वर्तमान टैब को बंद करने के लिए : Ctrl + F4 या Ctrl + W 
  5. वर्तमान ब्राउज़र विंडो को बंद करने के लिए : Alt + F4
  6. पिछले बंद हुए टैब को फिर से खोलने के लिए : Ctrl  + Shift + T
  7. वर्तमान टैब को बुकमार्क करने के लिए : Ctrl + D
  8. ब्राउज़िंग हिस्ट्री देखने के लिए : Ctrl + H 
  9. डाउनलोड हिस्ट्री देखने के लिए : Ctrl + J
  10. वर्तमान पेज में कुछ खोजने के लिए : Ctrl + F
  11. खोजे गए शब्द के अगले परिणाम पर जाने के लिए : Ctrl + G
  12. खोजे गए शब्द के पिछले परिणाम पर जाने के लिए : Shift + Ctrl + G
  13. पिछले पेज पर जाने के लिए : Alt + Left Key
  14. अगले पेज पर जाने के लिए : Alt + Right Key
  15. अगली टैब पर जाने के लिए : Ctrl + Tab
  16. पिछली टैब पर जाने के लिए : Ctrl + Shift + Tab
  17. पेज को रीलोड करने के लिए : Ctrl + R या F5
  18. लोड होते पेज को रोकने के लिए : Esc
  19. किसी भी टैब पर जाने के लिए : Ctrl + नंबर (उदाहरण के लिए - तीसरी टैब पर जाने के लिए Ctrl + 3 दबाएँ)
  20.  ब्राउज़र की एड्रेस बार में जाने के लिए : Ctrl + L या Alt+D या  F6
  21. किसी वेबसाइट को टाइप करते समय अपने आप आगे www. और पीछे .com  लगाने के लिए : Ctrl + Enter
  22. वेब पेज को निचे स्क्रॉल करने के करने के लिए : Space
  23. वेब पेज ऊपर स्क्रॉल करने के लिए : Shift + Space
  24. वेब पेज में सबसे ऊपर जाने के लिए : Home
  25. वेब पेज में सबसे नीचे जाने के लिए : End
  26. वेबपेज में ज़ूम करने के लिए : Ctrl और +
  27. वेबपेज में ज़ूम आउट करने के लिए : Ctrl और - 
  28. ब्राउज़िंग हिस्ट्री, कूकीज, कैश इत्यादि क्लियर करने के लिए : Ctrl + Shift + Delete
  29. ब्राउज़र को फूल स्क्रीन करने के लिए : F11
  30. वर्तमान वेब पेज के सोर्स कोड को देखने के लिए : Ctrl + U
  31. वर्तमान पेज को प्रिंट करने के लिए : Ctrl + P
  32. डेवलपर टूल खोलने के लिए : F12

Auto Share Blog Posts on Facebook and other Social Networks

If you think writing a blog post is over when you hit the publish button, Hello I think you should take a shower.
Blog posts, (no matter how epic they may be) are useless unless you promote the heck out of them.
If you don’t know how to manage time to promote blog posts, where to share your blog posts or are looking for ways to automatically share your blog posts on Facebook, Twitter, Google Plus, etc., this is the post you had been looking for.
This post tells you how to manage social media promotions the smart way.
Must Read
Writing the blog posts were always the mid-step to successful blogging, the other half includes sharing the post with other relevant people, and readers who would find it useful. Unless you are one of the kinds of sites John Morrow has or Darren Rowse has, it’s you who has to tell people that your blog is updated not the other way round.
Social media is no bad and is equally a blogging strategy like research or SEO. But, my point is why you should waste time on a thing that can be automated or left on auto-pilot. Here are some kickass tips on promoting your blog posts automatically as soon as they are published on auto-pilot.
Read mindfully the tips for social sharing of your blog post given and you will save hours in promoting your blog post on social media.

Auto Submission to Multiple Channels:

After writing a blog post, we have the tedious task of promoting our post to maximum social networks and other blogging communities. Here is what I use to get the hard work minimized. In this section, we will talk about how to submit posts without any work on our end, automatically as and when it is published.
Onlywire is an awesome tool for bookmarking your posts to nearly 30 sites simultaneously without even a single click. All you need to do it get an account on the platform and add your blog RSS to your profile.
Onlywire is probably the best free alternative to automated social posting. It is available as web form, a share button for your website and also as a browser extension and WordPress plugin. It posts up to thirty networks for free, and up to 50 networks, and three RSS feeds (that means three blogs) in paid mode. For 90% of us free mode is enough.
2) Twitterfeeds
Tweeterfeeds is a good service to make automated publications on social media. It can automatically publish blog posts to your selected social media channels as and when your posts happen. Twitterfeeds recognizes blog post through your blogs RSS feeds and then promotes them to either or all of your social media channels.
You can publish your blog posts to Facebook, Twitter, LinkedIn and Facebook pages. The advanced settings of twitterfeed allow you to choose what is published post title + post description or only description. You can also have settings of posting specific posts or excluding them based on keywords.
3) Hootsuite
Hootsuite is just more than an auto poster to social networks. It does pretty more than just sharing and includes tasks like scheduling updates, monitoring social analytics, etc. You will read more about other awesome features of HootSuite later in the post.
For now the auto-posting feature of HootSuite is not as bad as twitterfeed. You have got more channels to promote your stuff like the Google plus pages, and LinkedIn company pages that twitterfeed doesn't allow.
Moreover, you can have separate settings for separate social media channels so that your tweets are different from your Facebook updates and vice versa.
Jetpack is a special plugin especially for WordPress bloggers that are yet to explore the rich functionalities of WordPress.org.
Jetpack is like a backpack that has almost everything you need. The publicize feature of Jetpack allows you to automatically share your WordPress posts to various social media channels too.
Although it may seem lucrative but as they say all things that come free come with a hidden price. People using the jetpack plugin complain that they have been cheated by jetpack that uses your brand power to promote WordPress.com, which is its parent company.
Yes, when you post an update via jetpack the status appears as “Jack posted on WordPress” instead of “jack posted on yoursite.com”, the link also shows no sign that it is from your blog. So if you are okay compromising your brand with free stuff you can opt for jetpack otherwise as I said SNAP PRO has no substitute.
Publicity that initiates after a small social action:
Triggering on social action means you do a small deed and gets huge social shares by default. Though this is not essentially auto-posting but comes in the dimensions of automated social shares. There are many sites that are community-based, and you post each other’s stuff and in return they post yours. This can strategically use as an automated process by giving at least 15-20 minutes week time and gain auto shares and tweet through the week.
Triberr is a social network/community for bloggers.
You can use it to get in touch and build relationships with influencers in your niche. Once you have a set tribe of your own or are a member of any tribe there, you have to invest as little as 10-20 minutes a week to interact and share the stuff of the tribemates.
This will bring you on their radar, and they will start sharing your posts as and when they are live.
Triberr is also RSS based so if someone has put you on auto post your posts get shared to their social networks (Twitter, Facebook) as it is caught by the RSS reader in triberr.
SocialAdr is just like other tweeting services like Justretweet. Here you are expected to share other people stuff (as I said, never invest more than 20 minutes in this), and they will share your stuff. It is on a point basis where you are deducted with one point (you earned by sharing other people’s posts) for each share of your own post.
It has one benefit that you can add various social media channels and not only Twitter. SocialAdr as of now supports many channels like Facebook, Twitter, LinkedIn, Ello to name a few.
Viral content buzz is co-founded by Ann Smarty, a household name for expert bloggers. Here you get the awesome service of getting shared by industry influencers alone.
It works on a point basis, and it gives you points based on the followers you have on a social network. If you have 25000 followers on Twitter, it will give you some 5 points (approx.).
4) Buffer
Buffer is a scheduling and bulk social posting tool that has both free and paid plans. You can manually add links and posts with only text or pictures on it or use its browser extension to share a web page directly on the social profile. Through buffer, you have to literally invest less than 60 seconds to schedule a page to be shared across different social channels and that too at different times for the week.
The new scheduler allows you to schedule updates as well as customize it according to your platform and that too at your preferred time of the week. Investing less than a minute can give you unlimited social sharing automatically for the time coming.
Doshare is a must-have tool for people concentrating on Google Chrome. This tool helps you to share and schedule your updates to Google Plus. These posts will then be shared automatically to your profile at the set time.
6) Hootsuite
Hootsuite is the undisputed king of automatic social sharing tools. It has a hugely user-friendly interface and has much better features than buffer has. You can publish to various channels with a single click and it also allows automated sharing via the RSS feeds as we discussed above. I love this feature that ensures automated post sharing plus scheduling plus analytics all under one hood.
Hootsuite allows you to promote blog posts across multiple social networks, empower your team by assigning tasks to each of your teammates, in-depth analysis of your shares, vanity URL and much more. Why don’t you try all these features for free for a full month by signing here
Over to you
The ultimate list of social sharing tools (automated) goes on, what’s important is you should choose one that is power packed and value for money.

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