System Software के बारे में आप पहले भी जान चुके है System Software क्या होता है
System Software में वो Program होते है, जो Computer System को Control करते है और उसके सभी Parts के बीच अच्छा तालमेल बनाकर कोई कार्य कराते है ! इन्हें दो भागों में बांटा गया है !
Operating System
Language Translatorचलिए इन्हें विस्तार से जानते है !
Operating System :- यह कुछ विशेष प्रोग्रामों का Group है जो किसी Computer के सभी कार्यो को Control करता है ! यह Computer के साधनों के उपयोग पर नजर रखने और व्यवस्तित करने में हमारी मदद करता है ! Operating System आवश्यक होने पर अन्य प्रोग्रामो को चालू करता है , विशेष सेवाएँ देने वाले प्रोग्रामो को चालू करता है और User की इच्छा के अनुसार Output निकालने के लिए Data का प्रबंध करता है ! वास्तव में यह User और Computer के Hardware के बीच Interface का काम करता है.
इस समय काफी सारे Operating System प्रचलन में जिनमे मुख्य निम्न है :- Windows XP, Windows 7, Windows 8, Windows 10, Red Hat Linux, Ubuntu आदि-आदि.
Language Translator :- ये ऐसे Programs है, जो विभिन्न Programming Languages में लिखे गए Pragrams का अनुवाद Computer के Machine Language में करते है ! यह अनुवाद करवाना इसलिए जरुरी है क्योंकि Computer सिर्फ अपनी Machine Language ही समझता है.
Language Translator तीन प्रकार के होते है –
1. Assembler
2. Compiler
3. Interpreter
चलिए इनको विस्तार से समझते है –
Assembler :- यह Program Assembly Language में लिखे गए किसी Program पढता है और उसे Machine Language में Convert करता है ! Assembly Language के Program को Source Program भी कहा जाता है ! इसका Machine Language में Convert होने के बाद जो Program प्राप्त होता है, उसे Object Program कहा जाता है !
Compiler :- यह Program किसी High-Level Programming Language में लिखे गए Source Program को Machine Language में Convert करता है ! Compiler Source Program निर्देश को Convert करके उसे एक या अधिक Machine Language के निर्देशों में बदल देता है ! हर एक High-Level Programming Language के लिए अलग Compiler की जरुरत होती है.
Interpreter :- यह Program भी किसी High-Level Programming Language में लिखे गए Source Program को Machine Language में Convert करता है ! परन्तु यह एक बार में Source Program के एक कथन को एक या अधिक मशीनी भाषा के कथनों में Convert करता है और उनका पालन करता है ! वैसे Compiler और Interpreter का कार्य एक जैसा होता है, अंतर केवल यह है की Compiler जहाँ Object Program बनाता है, वहीँ Interpreter कुछ नहीं बनाता ! इस लिए Interpreter का उपयोग करते समय हर बार Source Program की जरुरत पड़ती है.
Operating System
Language Translatorचलिए इन्हें विस्तार से जानते है !
Operating System :- यह कुछ विशेष प्रोग्रामों का Group है जो किसी Computer के सभी कार्यो को Control करता है ! यह Computer के साधनों के उपयोग पर नजर रखने और व्यवस्तित करने में हमारी मदद करता है ! Operating System आवश्यक होने पर अन्य प्रोग्रामो को चालू करता है , विशेष सेवाएँ देने वाले प्रोग्रामो को चालू करता है और User की इच्छा के अनुसार Output निकालने के लिए Data का प्रबंध करता है ! वास्तव में यह User और Computer के Hardware के बीच Interface का काम करता है.
इस समय काफी सारे Operating System प्रचलन में जिनमे मुख्य निम्न है :- Windows XP, Windows 7, Windows 8, Windows 10, Red Hat Linux, Ubuntu आदि-आदि.
Language Translator :- ये ऐसे Programs है, जो विभिन्न Programming Languages में लिखे गए Pragrams का अनुवाद Computer के Machine Language में करते है ! यह अनुवाद करवाना इसलिए जरुरी है क्योंकि Computer सिर्फ अपनी Machine Language ही समझता है.
Language Translator तीन प्रकार के होते है –
1. Assembler
2. Compiler
3. Interpreter
चलिए इनको विस्तार से समझते है –
Assembler :- यह Program Assembly Language में लिखे गए किसी Program पढता है और उसे Machine Language में Convert करता है ! Assembly Language के Program को Source Program भी कहा जाता है ! इसका Machine Language में Convert होने के बाद जो Program प्राप्त होता है, उसे Object Program कहा जाता है !
Compiler :- यह Program किसी High-Level Programming Language में लिखे गए Source Program को Machine Language में Convert करता है ! Compiler Source Program निर्देश को Convert करके उसे एक या अधिक Machine Language के निर्देशों में बदल देता है ! हर एक High-Level Programming Language के लिए अलग Compiler की जरुरत होती है.
Interpreter :- यह Program भी किसी High-Level Programming Language में लिखे गए Source Program को Machine Language में Convert करता है ! परन्तु यह एक बार में Source Program के एक कथन को एक या अधिक मशीनी भाषा के कथनों में Convert करता है और उनका पालन करता है ! वैसे Compiler और Interpreter का कार्य एक जैसा होता है, अंतर केवल यह है की Compiler जहाँ Object Program बनाता है, वहीँ Interpreter कुछ नहीं बनाता ! इस लिए Interpreter का उपयोग करते समय हर बार Source Program की जरुरत पड़ती है.
यह Tricks आपको कैसी लगी यदि कंप्यूटर और इन्टरनेट से सम्बधित आपके के पास हमारे लिए कोई सवाल है तो हमे भेजें Comment करें जल्दी ही आपके सवाल का जवाब देने की पूरी कोसिस करेंगे ?
0 comments:
Post a Comment